मुक्तक………….
“हँसना मना है” सरल आसान स्वभाव बहूता परिचय कहत पाँव कर जूता सुखकर हितकर सहज सरुपा हाथ फिरे तो भागत
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Read Moreभाव-सार के बिन नहीं, होता हृदय विभोर। थोड़े दोहाकार है, ज्यादा दोहाखोर।। — मन में मैल भरा हुआ, होठों पर
Read Moreहे जीवन ! तुम मन हो ! मानसिक क्रीड़ा हो ! प्राकृतिक नियमों को कभी तिरस्कार करते हो तो कभी
Read Moreदयाल बाबू की बातें सुनकर राखी को यह अंदाजा तो हो ही गया था कि उसके ससुर को उसका फैसला
Read Moreछोड दी जिंदगी को, वक्त के हवाले; आधी पढ़ के, जैसे कोइ किताब! बहे गया प्रवाह, सरलता की सरिता
Read Moreअष्टम साहित्य गरिमा पुरस्कार समारोह ,`पुष्पक ‘ लोकार्पण तथा कादम्बिनी क्लब की गोष्ठी रविवार ,16 अप्रैल ,शाम 4 बजे से
Read More‘शिवम – शिवम – कहाँ है वो -?’ एक तेज़ आवाज़ वातावरण में गूंज गई| शिवम के दादा जी आँगन
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