“कुंडलिया”
नरमुंडों के बीच में, लिए हाथ कंकाल घूम रही तस्वीर है, मानव मृत्यु अकाल मानव मृत्यु अकाल, काल मानव के
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Read Moreमुझे अंगार में रहने की आदत हो गयी है किसी के प्यार में रहने की आदत हो गयी है फ़लक
Read Moreकभी न हारे जंग में, अपने सैनिक वीर। शासन का रुख देखकर, सेना हुई अधीर।। — घर से रहकर दूर
Read Moreमेरे अक्स में फिर अक्स तेरा न लगे। जुस्तजु न रहे तेरी कोई रिशता न लगे। तुझे भूलने की नाकाम
Read Moreसूरज आतिश बन गया,तपे नगर औ” गांव ! जीव सभी अकुला उठे,ढूंढ रह सब छांव !! सूरज का आक्रोश है,बिलख
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