सुन रहे हो न, निजता के पैरोकारों ?
इस देश का गजबै हाल है..किसी की निजता उसे कहाँ से कहाँ ले जाकर खड़ी कर देती है..! हमको तो
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Read Moreदरवाजे पर खड़े पांडेय जी को देखते ही उनके सम्मान में अपने दुपट्टे से सिर को ढंकते हुए शबनम ने
Read Moreहर व्यक्ति व रचनाकार में गुण व दोष स्वाभाविक रूप से होते हैं और जहाँ एक ओर दोष जानना आवश्यक
Read Moreकौन जाने कि कल वक्त कैसा यहां तुम मिलो ना मिलो मग्न संसार में, चार पल की मिली ज़िंदगानी यहां
Read Moreबाबा ना,गुंडा लगे,अपराधी के रंग ! देखा असली ढंग तो,’शरद’ रह गया दंग !! डेरा सच्चा है नहीं,लिये झूठ का
Read Moreमेरे मन के तीर बड़ी हलचल…. तंगहाल हो रही डगर नित आशाओं की बदल रहा जीवन क्षण क्षण परिभाषा भी
Read Moreएस- सात कोच की बर्थ संख्या 42 व 43 । 12477 पुरी – हरिद्वार उत्कल एक्सप्रेस में यही हमारी सीट
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