बाल कविता

मेरी गुड़िया

मेरी गुड़िया हैं नखरीली,

प्यारी प्यारी बड़ी चुलबुली,

सुनहरे रेशम से केश घुंघराले,
गाल गुलाबी गुलाब हो खिले।
नीरज नयन कजरारे सुंदर,
मधुरस छलकाते लाल अधर।
थाट बाट जैसे हो राजकुमारी,
प्रिय सखी सहेली मेरी प्यारी।
सूरज,चंदा,तारों संग खेले,
किरणों -सी खूब झूमे,झूले।
करती हूं में लाड़ दुलार
जैसे करे सब मुझे प्यार।
खूब पढ़ाऊंगी,दूंगी संस्कार
होगा जग में खूब सत्कार।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८