लघुकथा

लघुकथा – अनोखा रिश्ता

चाची से डांट खाने के बाद रत्ना सुबकते हुए अपना काम करने लगी। बिन मां – बाप की रत्ना अपनी चाची के साथ रहती थी। रोहन ये सब देख रहा था, अगले ही पल रोहन चेहरे पर अजीब सा मेकअप कर उसके सामने आकर ‘हमे काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले है’ गाना गाने लगा उसे देखते ही रत्ना खिलखिला कर हंस पड़ी।
“तू ये सब मुझे खुश करने के लिए करता है ना?”
“आखिर तेरा भाई हूं और भाई को तो बहन का ख्याल रखना चाहिए ना। चाहे विलेन मेरी मम्मी ही क्यों ना हो!”
“चुप कर, अपनी मां को कोई ऐसा कहता है क्या!”
क्यों ना कहूं, इतना काम करने के बाद में भी मम्मी तुझे डांटती रहती है।”
“हां तो वो मेरी चाची है, हक से डांट सकती है।”
“तू इतनी अच्छी क्यों है दीदी”
“चल मैं कोई अच्छी नहीं हूं लेकिन आज के बाद मां के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कभी मत करना।”
“ठीक है दीदी” रोहन ने कान पकड़ते हुए कहा।
रत्ना ने उसे गले से लगा लिया और उसके आंसू छलक पड़े।
— प्रगति त्रिपाठी

प्रगति त्रिपाठी

बैंगलोर kumaripragati1988@gmail.com