कविता

रूस युक्रेन में पर्यावरण

किसने कहा कि बारूद से, प्रदूषण फैलता है,
किसने कहा कि आवाज़ से, प्रदूषण फैलता है?
रूस युक्रेन युद्ध से अभी तक, कुछ नहीं हुआ,
किसने कहा बारूद कणों से,प्रदूषण फैलता है?
शायद रूस युक्रेन के बम, ऑक्सीजन उगलते हों,
बारूद की गंध से शायद, बुजुर्ग अच्छे होते हों।
पेड़ पौधे पशु पक्षी, धमाकों की आवाज़ से ख़ुश,
महाशक्तियों के बारूद, पर्यावरण संरक्षक होते हों?
दीपावली के पटाखों में सनातनी ज़हर होता है,
दीपावली के पटाखों का दुनिया पर असर होता है।
हो जाते धर्मनिरपेक्ष परेशान, पशु पक्षी भी आहत,
दीपावली के पटाखों में, हिन्दू विरोध भरा होता है।
— अ कीर्ति वर्द्धन