हास्य व्यंग्य

हास्य व्यंग – जबरदस्ती के रिश्तेदार

हम सभी के जीवन में जन्म लेने के साथ ही गॉड गिफ्ट के रूप में रिश्तेदार हमें मिल जाते हैं। जिनमे मां- बाप, भाई -बहन, अड़ोसी पड़ोसी के अलावा भी बहुत सारे रिश्तेदार मिलते हैं। उनमें से कुछ को हमारा दुनिया में आना अच्छा लगता है। और कुछ हमारे धरती पर अवतरित होते ही इसलिए भी मुंह टेढ़ा कर लेते हैं कि आखिर हम दुनिया में आए तो क्यों आए। शायद उनको ऐसा लगता है कि हम उनके हिस्से का ही खाना खाने धरती पर पैदा हुए हैं।

कुछ हमारे जीवन के लिए अच्छे साबित होते हैं। और कुछ ऐसे होते हैं कि अच्छा कैसे होने पाए और अच्छा होने देना नहीं चाहते हैं । हमारे जीवन में रिश्तेदार वह होते हैं । जो हमारी अच्छी बुरी हर बात पर सीसी टीवी के जैसे बराबर निगाह बनाए रखते हैं। सीसीटीवी जैसा मशीनी यंत्र कुछ भूल चूक कर सकता है । लेकिन यह रिश्तेदार जानकारी संग्रहित करने में चूक नहीं कर पाते हैं। उन्हें पता हमारी हर अच्छी और बुरी बात का रहता है। अच्छी बात पर सराहना कभी नहीं करते हैं। लेकिन बुरी बात पर हाहाकार जरूर मचा देते हैं। और जो आपकी एक गलती पर हाहाकार न मचाए वह कैसा रिश्तेदार और अच्छी बातों पर चुप लगा जाते हैं ।सौ बार मदद करिए रिश्तेदारों को याद नहीं रहता है । एक बार मत मदद करिए आप में जग भर की बुराई निकाल सकते हैं। आपको बता सकते हैं कि कंस के बाद आप ही सबसे धरती के प्राणी पापी पैदा हुए हैं। और आप अपने पाप और पुण्य का लेखा-जोखा करते ही रह जाते हैं। यह तो हमारे आमजन जीवन की बात है।

लेकिन एक और जीवन इंटरनेट मीडिया पर भी चलता है । इसमें भी हम लोगों के साथ जुड़े रहते हैं। कुछ लोगों के साथ हम लोग रिश्ते बनाते हैं। और कुछ अपने आप से हम लोगों के साथ बना लेते हैं। और बना लेते हैं तो क्यों बना लेते हैं, कैसे बना लेते हैं, कब बना लेते हैं ,आपको खबर भी नहीं होगी ।और जो यह अपने आप से रिश्ते बना लेते हैं बड़े खतरनाक टाइप के रिश्तेदार होते हैं। हम सभी को पता भी नहीं चलता है और वह हम सभी से अपेक्षाएं पालने लगते हैं। हमारे बिना आज्ञा के ही हमें अपना मानने लगते हैं।

अगर उन्होंने आपसे मदद मांगी और आप व्यस्तता की वजह से उनका मैसेज देखकर इग्नोर कर दिए। या खुदा ना खस्ता आप उनकी मदद करने के लिए उस वक्त मौजूद न रहे। या अपने किसी काम में व्यस्त हो जाए। या मान लीजिए आपका मदद करने का मन ना रहे। तो आपका चारित्रिक हनन बेभाव का करने पर उतारू हो जाते हैं। क्योंकि आपने भले ही उन्हें अपना मित्र नहीं माना है। लेकिन उन्होंने तो आपको अपना मित्र ,गुलाम ,अपनी काश्तकारी समझ लिया है। अब समझ लिया है तो समझ लिया है। और क्यों समझ लिया है यह समझना आपके लिए कठिन हो जाएगा।

अगर आप सोशल मीडिया चलाते हैं तो इन जबरदस्ती के रिश्तेदारों से बचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है। क्योंकि आप किस परेशानी में है। किस दुविधा से उनको यह सुविधा नहीं दे पा रहे हैं । यह उनको समझना नहीं रहता है। आपने बिना कुछ करे धरे उनका इगो हर्ट कर दिया है। अब जिसका भुगतान आपको जली-कटी खरी-खोटी सुनकर चुकाना पड़ेगा। और आप यह सब सोचते ही रह जाएंगे। समझते ही रह जाएंगे। तब तक आपको भरपेट भला बुरा सुना कर आपको ब्लॉक कर दिया जाएगा और आप अपने मन का मन में ही सोचते रह जाएंगे और दो-चार दिन अपना सुकून गवाएंगे।

— रेखा शाह आरबी

रेखा शाह आरबी

बलिया (यूपी )