जिस ओर जवानी चले उस ओर ज़माना चले
बुलंद भारत की तस्वीर में रंग भरने का काम आजकल की युवा पीढ़ी बखूबी कर रही है, जरूरत है उनको
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Read More“महिला दिवस पर स्त्री विमर्श शोभा नहीं देता, जो पहचान का मोहताज नहीं ऐसे वंदनीय चरित्र की गाथा लिखनी है”
Read Moreआज टीवी पर “मास्टर शेफ़” नाम का शो देखा, तो विचार आया कि सच में हमने बौद्धिक तरक्की कर ली
Read More“जैसे उब चुका संसार एक समय की लाज शर्म के गहनों से लदी और दहलीज़ के भीतर सलिके से रहती
Read Moreप्यार कोई बोल नहीं, प्यार आवाज़ नहीं एक ख़ामोशी है, सुनती है, कहा करती है न ये बुझती है, न
Read Moreसोचिए साहित्य न होता तो? ज्ञान का स्तर बुद्धि के नक्शे में नीचे की सतह पर मृत्युशैया पर लेटा होता।
Read Moreमाना कि ज़िंदगी की जद्दोजहद से जूझते इंसान को कुछ पल खुशियों के, हँसी मजाक के चाहिए होते है जिसका
Read Moreक्यूँ सिर्फ़ औरतों के लिए हर परंपरा, हर नियम-धर्म पालने की परंपरा सदियों से दोहराई जा रही है? कल एक
Read Moreइंसान की मानसिकता बड़ी कम्माल होती है, कभी अपने भीतर झांकने की तस्दी तक नहीं लेते। खुद के भीतर असंख्य
Read Moreआजकल के युवाओं के लिए प्रेम का अर्थ एहसासों की आप ले करने से ज़्यादा शारीरिक उन्माद को शमन करने
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