हर पत्ता यहाँ का सावन से डरा है
हर शहर यहाँ का क़ातिलों से भरा है जो भी यहाँ मरा वो निग़ाहों से मरा है तिरछे वार से
Read Moreहर शहर यहाँ का क़ातिलों से भरा है जो भी यहाँ मरा वो निग़ाहों से मरा है तिरछे वार से
Read Moreहमसे बेखर हैं ओ, हम जिनकी खबर रखते हैं चुपके से गुजरते ओ, हम फिर भी नजर रखते हैं सुनाते
Read Moreआज लाश जलानें पर इतना शोक क्यों? आत्मा तो बहुत पहले ही मर चुकी थी आज तो शरीर मरा है!
Read Moreसब मयखाने बेकार लगे अब नजर ही काफी थी उनकी अब होश बाकी रहा नही मय अभी बाकी थी उनकी
Read Moreअब सांसे केवल चलती हैं, अब नाम कहाँ ये लेती हैं जो जीत गया वो बीत गया, जो था ही
Read Moreजो पिया जा न सका वो पीना पड़ा मुझको एक एक घूंट उतार कर जीना पड़ा मुझको अब तुम्हे देख
Read Moreशरशय्या पर लेट चुका हूं अब तक सब कुछ देख चुका हूं जितने यहां पे काम हुये हैं, सब में
Read Moreहम जिस तरह से आये थे उसी तरह से जायेंगे! जी हां हमारी उत्तपत्ति जैसे हुयी थी विनाश भी वैसे
Read Moreएक दिन श्रीलंका को पीछे छोंड़ देंगे बात उन दिनों की है जब भारत के हर एक गांव में खलिहान
Read Moreअनगिनत यहाँ रातें आयीं सूरज ने दमकना छोड़ा क्या न जाने कितने भोर हुए, चंदा ने चमकना छोड़ा क्या कितने
Read More