“नियति”
हमारे पूर्वजों ने, बरगद का एक वृक्ष लगाया था, आदर्शों के ऊँचे चबूतरे पर, इसको सजाया था। कुछ ही समय
Read Moreजीवन जीना नहीं सरल है, पग-पग पर पीना पड़े गरल है जन्म से मृत्यु तक संघर्ष ही संघर्ष है, कर
Read Moreबचपन की यादें कितनी अच्छी होती हैं आज उन यादों को ताजा करना अच्छा लगता है कहा खो गया वो
Read Moreसमय देकर तो देखो शायद सब कुछ ठीक हो जाए पुराने-कडवे रिश्तों में शायद थोड़ी-सी मिठास भर आए दुश्मनी की
Read Moreनारी नाड़ी की तरह करती है हर काम नारी के सम्मान का विचार होना चाहिये पुरुष प्रधान सदियों से है
Read Moreमहिला दिवस पर खास मेरी बेटी के लिए यह रचना- मेरी नन्हीं सी , कली हो तुम जीतीं हूँ जिसके
Read Moreजुनून की जड़ों में मैने डाली थी खाद उत्साह की दिया था पानी त्याग का तब कहीं जाकर लगा था
Read Moreमत दो हमें झूठी बधाई, यह बधाई किस काम की, आज का यह सम्मान हमें दिख रहा है बस नाम
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