कविता – नन्ही दुल्हन
छोटी सी उम्र में दुल्हन बनी हल्दी भी लगी मेंहन्दी रची न कोई रिश्ते नाते समझी न कोई रीति रिवाज
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Read Moreसागर की अथाह सीमा की, अनंत लहरों की, अनगिनत बूंदों में से, एक और बूंद खो गई. इस एक बूंद
Read Moreभीनी भीनी महक में डूबा, मन मतवाला बना पतंगा। प्रेम भंवर में रचा बसा है, भंवरों का गुंजार मचा है।
Read Moreसब गलतियां लड़कों की निकाल देती हैं लड़के ही नहीं बोहोत लड़कियां भी खराब होती हैं किसी भी सीधे लड़के
Read Moreरे माँ तेरे चरणों में, सगरो तीरथ सुरधामा करुणाकारी आँचल में, मोहक ममता अभिरामा॥ सुख की सरिता लहराती, तेरे नैनों
Read Moreक्यों बदल रहे लोग वैमनस्य की कड़वाहट का अभ्यस्त हुआ व्यक्ति स्वयं व अन्य के प्रति कितना असंवेदनशील हो जाता
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