मैं सृष्टि हूं
जब तक तुमने मुझे अपना समझा और माना, तुम भी सुखी थे, मैं भी सुखी थी. तुम मेरी पीड़ा समझते
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Read Moreनिर्मला एक शासकीय शिक्षिका थी। हाल ही में प्री बोर्ड परीक्षाएं संपन्न हुई थीं और वह बड़ी तन्मयता से बारहवीं
Read More“भूरी सुनो!! रसोई में जितने भी डिब्बे हैं, सभी ठीक से देखलो, जहाँ -जहाँ भी तुम पैसे छुपा कर रखती
Read Moreलॉकडाउन में दो जून की रोटी की तलाश भी पूरी नहीं हो पा रही यह सोचता हुआ रामदयाल अपनी रिक्शा
Read Moreनंदिनी अलार्म बजते ही उठी ,अलार्म बंद किया और सोची थोड़ा और सो लूं , लेकिन जिम्मेदारियों ने उसे झकझोर
Read Moreकवियत्री जी की पुस्तक जिसका शीर्षक ‘खुदकुशी’ है, का पुस्तक विमोचन का कार्यक्रम चल रहा होता है। तभी उनसे एक
Read Moreजैसे ही शाम के पांच बजे का सायरन बजता है, सभी मजदूरों के फावड़े-तसल्ले आराम करने के लिए आजाद हो
Read Moreपिताजी ने विजय की वकालत करने की बात मान ली थी । एलएलबी के अंतिम साल की परीक्षा भी महीने
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