परवाह और जरूरत
“माँ आज तुम खिचड़ी बना कर खा लेना, मैं और रश्मि फिल्म देखने जा रहे है। खाना बाहर ही खाएँगे
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Read Moreनोटबंदी की खबर से पसीने छूट गए मणिकांत के ! बड़ी दी ने जब मकान के लिए कर्जे के रूप
Read Moreसुलेखा को भले ही तंगहाली के दामन ने जकड़ रखा था, पर सुलेखा ने भी मजबूती से धैर्य के दामन
Read Moreविनोद और कल्पना शर्माजी के साथ घर पहुंचे । पुलीस चौकी में हवलदार के व्यवहार ने दोनों के दिमाग में
Read Moreसुबह उठे और मशवरा करने लगे कि आज कहाँ जाना था तो मैंने कहा जसवंत ! इतने दिन हो गए
Read Moreमाँ बताती हैं मैंने अपनी पहली कविता एक प्लेन क्रेश पर लिखी थी । वो अंग्रेजी में थी ,सन् 1972
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