लघुकथा – ऑफिस का रावण
रावण दहन के दूसरे दिन ऑफिस के दूसरे कमरे में अचानक से ” गदध ! गदध ! ” दो बार
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Read Moreपद्मा इन दिनों बहुत परेशान थी। पढ़ाई के साथ साथ साहित्य में अपना अलग मुकाम बनाने का सपना रंग ला
Read Moreसुगंधा का पशु प्रेम जगजाहिर था। एक दिन उसके पति के साथ रहने वाला उनका दोस्त बोला, “भाभी, जानवरों को
Read More“कैसे हैं तुम्हारे बाबूजी?” माँ की उद्विग्नता साफ झलक रही थी आवाज में। माँ! डॉक्टर ने संभाल लिया है। अब
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