कहानी – बँटवारा
जय प्रकाश के परिवार में उसकी माँ पत्नी एयर एक छोटी सी प्यारी सी बिटिया रहते थे ! जय प्रकाश
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Read Moreसर्दियों की शाम खिड़की के पास बैठकर काफी पीना उसका पंसदिदा शौक था, हमेशा वह इसी तरह बाहर के नजारे
Read Moreमेघा एक बेबस लाचार असहाय वक़्त की मारी हुई वो लड़की थी, ‘जिसे ईश्वर ने बेहद खूबसूरती से नवाज कर
Read Moreजी तो करता है कि लाज शरम हया सब कुछ छोड़कर पोखरे में जाकर कूद पड़ूँ और पल्थी मारकर उसकी
Read Moreबात उन दिनों की है जब मैं हायर सकेंडरी करके इंजिनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था | मेरे साथ मेरे
Read Moreपछियारी टोले से मदना छौरा बकरियों को लिए सरेह(वन) की ओर निकला है, उधर फल्गूआ भैंस चराने भउजाई वाले मोबाईल
Read Moreअभी-अभी पौधे और घास सींचकर बरामदे के तखत पर मैं बैठा हूँ…जानता हूँ, इन्हें छोड़कर अब जाने वाला हूँ…लेकिन इन्हें
Read Moreअध्याय 3 : विपुल बाहर टहलते-टहलते उसे मालती की याद आई मगर वह उस गली में किसी कीमत पर नहीं
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