“नेवता की बानगी”
आज लपलपाती गर्मी में, तपती दोपहरी में, धूँआ सुलगाती सड़क के किनारें पसीना पोछते हुए झिनकू भैया दिख गए। ताज्जुब
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Read Moreकचहरी में ज्यादातर वक़ील सारा दिन ख़ाली ही बैठ कर चले जाते हैं| उनके पास सामाजिक, राजनीतिक और क्रिकेट की
Read Moreघर की बालकनी की खिड़की खोली बाहर का दृश्य देख मुंह से निकल पड़ा – देखो चीकू के पापा कितना
Read Moreदिल भी टूटा था दोनों का, मालूम तुमको भी था, और मालूम हमको भी था तुमने भी कुछ खोया था
Read Moreशबाना का शौहर अब्बास जब से बेरोजगार हुआ था मोहल्ले के लम्पट बदमाशों से उसकी दोस्ती गहरी हो गयी थी
Read Moreजून की चिलचिलाती धूप में सुधा अभी घर के बाहर पहुँची ही थी कि उसे घर के अंदर से कुछ
Read Moreचंदू : माँ ज़ोरों की भूख लगी है कितनी देर लगेगी और ? बिंदिया : बस बेटा पांच मिनट आटा
Read Moreउसने कुल पंद्रह बसंत ही देखे थे कि पति ने परस्त्री के प्रेम – जाल में फँस कर उसे त्याग
Read More‘अनवर भाईजान फ़ौरन आओ!’ रात १० बजे अनवर को अपने दोस्त असलम की बीवी सलमा की घबराई सी आवाज फोन
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