आत्मकथा : मुर्गे की तीसरी टांग (कड़ी 36)
अभी मेरा कम्प्यूटर का काम पूरा नहीं हुआ था, अतः मुझे उसमें जुट जाना था। लेकिन इससे पहले मुझे दो-तीन
Read Moreअभी मेरा कम्प्यूटर का काम पूरा नहीं हुआ था, अतः मुझे उसमें जुट जाना था। लेकिन इससे पहले मुझे दो-तीन
Read More18. राजा का तुमुल नाद हर-हर महादेव और जय श्री राम के घोष के साथ सिरों पर कुसमानी पाग बाँधे राजपूती
Read Moreउस वर्ष असम आन्दोलन जोर-शोर से शुरू हो गया था। हमारी सहानुभूति स्वाभाविक रूप से आन्दोलनकारियों के साथ थी, क्योंकि
Read More17. निर्लज्ज शर्तनामा सुल्तान की आज्ञा से उलूग खाँ और नुसरत खाँ एक बड़ी सेना लेकर राजपूताना पहुँचे। इस सेना के
Read Moreअध्याय-11: किस किस के हाथों में गुनहगारों में शामिल हूँ गुनाहों से नहीं वाकिफ सजा पाने को हाजिर हूँ खुदा
Read More16. परंपरा का निर्वाह बौद्धधर्म के अनुयायी मंगोल तेमूचिन (जिसे संसार चंगेज खाँ के नाम से जानता है।) के समय से
Read Moreसिर की मंडी में हमारी शाखा का नाम था ‘ध्रुव प्रभात’ और हमारे मुख्य शिक्षक थे श्री मुरलीधर जी ओझा।
Read More15. रानी का कायरतापूर्वक समर्पण एक दिन नृत्य महफिल से उठकर सुल्तान अपने हरम में गया। और बांदी से रानी कमलावती
Read Moreअध्याय-10: सेवा धर्म कठिन जग माहीं काँटा लगे किसी को तड़पते हैं हम अमीर। सारे जहाँ का दर्द हमारे जिगर
Read More14. काफूर और हसन सर्वाधिक खूबसूरत युवतियों को सुल्तान ने अपने हरम में भिजवा दिया। बाकी को अमीरों और अफसरों में
Read More