क्षणिका : मौन
मुझे भी कुछ ज्ञान है मौन की प्रकृति का, वो होता है लक्षण स्वीकृति का ! सदियों से लोग कहते
Read Moreमुझे भी कुछ ज्ञान है मौन की प्रकृति का, वो होता है लक्षण स्वीकृति का ! सदियों से लोग कहते
Read Moreचै डूबा डहार लू कासार टूटे ज्यूँ तट तलमलाहट काकतालीय दुःख {1} हो चूनी कुपंथी छीने चुन्नी स्त्री परेशानी समाज
Read Moreवैचारिक भिन्नता सदा बनती है कारण रिश्तों में टकराव का जीवन में अलगाव का और लिख देती है भाग्य में
Read Moreअजनबी व्यवहार के साथ पहचाने चेहरे आँख बचाकर जब सामने से गुजरते देखे अहसास हो गया बुझती उम्र का —
Read Moreआंकड़े बोलते हैं आंकड़े आकर्षित करते हैं आंकड़े हंसाते हैं आंकड़े रुलाते हैं आंकड़े दिल बहलाते हैं आंकड़े सोचने को
Read More1 तुम्हारी याद जैसे ठंडी चाय खो चुकी गर्माहट बिसर चुका है स्वाद ।। 2 सुनो दंभी पुरुष मेरे आखों
Read Moreचंद शेर आपके लिए एक। दर्द मुझसे मिलकर अब मुस्कराता है जब दर्द को दबा जानकार पिया मैंने दो. वक्त
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