दो क्षणिकाएं
1 तुम्हारी याद जैसे ठंडी चाय खो चुकी गर्माहट बिसर चुका है स्वाद ।। 2 सुनो दंभी पुरुष मेरे आखों
Read More1 तुम्हारी याद जैसे ठंडी चाय खो चुकी गर्माहट बिसर चुका है स्वाद ।। 2 सुनो दंभी पुरुष मेरे आखों
Read Moreचंद शेर आपके लिए एक। दर्द मुझसे मिलकर अब मुस्कराता है जब दर्द को दबा जानकार पिया मैंने दो. वक्त
Read Moreनहीं हुआ मिलन राम का सीता से पुरुरवा का उर्वशी से लैला का मजनूं से सोनी का महिवाल से शीरी
Read Moreयह सप्ताह —- मति भ्रष्ट है सबकी … ना काम न धंधा, ऊपर से मुफ्त का पंगा, जेब भी खाली
Read Moreआशा ही जीवन है, आशा ही ज़िंदगी है, आशा ही विश्वास है, आशा ही बंदगी है. आशा के बल पर
Read Moreहम क्यों सोचते हैं कि हम गरीब हैं शायद हमने देना नहीं सीखा हमारा चेहरा एक मुस्कान दे सकता है
Read Moreगीत कोई अच्छा सुनने को मिले, तो झूम लेती हूं अच्छी-सी कोई धुन कानों में पड़ जाए, तो ठुमका लगा
Read More=====[पिरामिड]============ है शब्द शृंखला पिरामिड भाव विभाव सार्थक प्रयास पूर्ण परिचायक ====[=सत्य]============= है सत्य शाश्वत धर्म कर्म वाद-विवाद यश -अपयश
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