ग़ज़ल – हया
हया आंखो में अब बहुत मुश्किल से मिलती है बेशर्मी आजकल तो यहाँ नाजों से पलती है । बयां कर
Read Moreहया आंखो में अब बहुत मुश्किल से मिलती है बेशर्मी आजकल तो यहाँ नाजों से पलती है । बयां कर
Read Moreहमारे दरम्यां अब कुछ बचा क्या है। इस ज़िन्दगी में अब मज़ा क्या है। हर ओर मुफलिसी का अब दौर
Read Moreकह देते वो अगर इक कहानी हो जाती। हमारी भी खूबसूरत ज़िन्दगानी हो जाती। हर तरफ देश में अब हो
Read Moreकोई इल्जाम हमपे लगाना नही। बोलती सच मैं करती बहाना नहीं आ भी जाते समय पर मगर क्या करें, बन्द
Read Moreनहीं भूलता है वो गुजरा जमाना कागज की कश्ती पे छतरी लगाना, गिरने लगे जब भी बारिश की बूँदें, हथेली
Read Moreपास तुम बैठो जरा सा बात कुछ करनी अभी है। बाद में देना बहाना वक़्त की जो भी
Read Moreइश्क में ख़ुद को मिटाना पड़ता है सोच सोच के कदम बढाना पड़ता है मोहब्बत का मकां बनाने के लिए
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