ग़ज़ल
दुआ देने में यारों को बड़ी तकलीफ होती है, खुशी से गम के मारों को बड़ी तकलीफ होती है मिटा
Read Moreपैसोँ की ललक देखो दिन कैसे दिखाती है उधर माँ बाप तन्हा हैं इधर बेटा अकेला है रुपये पैसोँ की
Read Moreवो रोती रही मैं आंख मलता रहा वो सिसकती रही मैं चलता रहा। हाथ रोके न उसने सब कुछ सहा
Read Moreख़ुशबुओं के बंद सब बाज़ार हैं बिक रहे चहुं ओर केवल खार हैं पिस रही कदमों तले इंसानियत शीर्ष सजते
Read Moreढूँढ़ते हैं मगर कोई हमें उनसा नहीँ मिलता गुल रोज़ खिलते है कमल दिल का नहीँ खिलता। बड़ी आसानी से
Read Moreलोग कितने सवाल करते हैं. ज़िंदगी तक मुहाल करते हैं. जब ज़रूरत हो तब नहीं आते, बाद में देखभाल करते
Read Moreबेवजह वो मुस्कराता यह ख़बर अच्छी नहीं दे रहा है फिर दिलासा यह ख़बर अच्छी नहीं ! जो ज़रूरतमंद हों
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