बचपन कहां गया
बनकर नदिया की धार प्रबल आंखों से हो गया झट ओझलहम खुद से करते हैं सवाल जाने वह बचपन कहां
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Read Moreये दुनिया तो एक रंगमंच है यारो।जो अपना है वो आएगा ज़रूर;और किसी को चाहे कितना पुकारो। बस भीड़ से
Read Moreनई सुबह का नया द्वार मैं खोल रहा हूँ ; तुम चाहों तो आ जाना मैं बोल रहा हूँ !
Read Moreहो गए सब देखो कितने कूल।हांजी अब न कोई बनता फूल। समार्टफौन में डूबें सब डयूड;बदला समय बदले सब रूल।
Read More23 मार्च सन,उन्नीस सौ इकत्तीसराज गुरु , सुखदेव औरशहीद-ए-आजम, श्री भगत सिंह।देश की आजादी, की खातिरचूमा था, फांसी का फंदाऔर
Read Moreपाप का घड़ा, जब भर जाता हैबड़े से बड़ा फिर, पकड़ा जाता हैकोई भी तर्क, काम नही करेगानाटक से काम,
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