“शिव का डमरू बन जाऊँगा”
जो मेरे मन को भायेगा, उस पर मैं कलम चलाऊँगा। दुर्गम-पथरीले पथ पर मैं, आगे को बढ़ता जाऊँगा।। मैं कभी
Read Moreजो मेरे मन को भायेगा, उस पर मैं कलम चलाऊँगा। दुर्गम-पथरीले पथ पर मैं, आगे को बढ़ता जाऊँगा।। मैं कभी
Read Moreजो लगता था कभी पराया, जाने कब मनमीत हो गया। पतझड़ में जो लिखा तराना, वो वासन्ती गीत हो गया।।
Read Moreक्या बात अब तुझसे करूं,हर ख़्वाब तन्हा रह गए। जो बात हम न कह सके, वो अश्रु बन कर बह
Read Moreधर्म के बढते हुए व्यापार में आग ये कैसी लगी बाजार में जल गये रिश्ते बचा कुछ भी नही नफ़रतों
Read Moreदेता है ऋतुराज निमन्त्रण, तन-मन का शृंगार करो। पतझड़ की मारी बगिया में, फिर से नवल निखार भरो।। नये पंख
Read Moreहोरी का गोदान कभी क्या हो पायेगा ? पाँच पाँच करके हैं बीते साल कई ।चोर उचक्के हुयें हैं मालामाल
Read Moreचलो न फिर से जीवन सीधा-सादा कर लेंकथनी, करनी, सोच एक हों, वादा कर लेंथोड़ा खायें, बहुत हँसे हम हवा-धूप
Read Moreप्रेम पर्व पावन बेला पर, गीत समर्पित करता हूँ। जीवन का क्षण क्षण मैं तुमको, मीत समर्पित करता हूँ। देने
Read Moreअनवरत चलते रहें हम भूल बैठे मुस्कुराना है यही अनुरोध तुमसे बस ख़ुशी के गीत गाना। फर्ज की चादर तले, कुछ
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