फिर हम एक हुए हैं
घर घर दीप जले लगता है फिर हम एक हुए हैं। वैर-द्वेष बह निकला मन से जैैसे बाढ़
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Read More(मुखड़ा- 15-11 पर यति, अंतरा का मात्रा भार- 26) तोता मैना की कहानी, तो पुरानी मितवा यादें आई आज अपनी,
Read Moreएक दिन शहीद का बेटा यह बोला ” बतलाओ माँ ! पापा घर कब आयेंगे ? लायेंगे कब मेरे सुन्दर
Read Moreमैं ही हूँ तेरे हृदय में, मैं ही विस्तारित निशा की, धवल, नीरव चाँदनी में, मैं ही आलोकित हुआ हूँ,
Read Moreसात जनम तक साथ निभाने का वादा क्यूँ तोड गये। जीवन के अन्जान सफ़र में साथ भला क्यूँ छोड गये॥
Read Moreहे मानव! ना मोह करो तन का है माटी से उपजा ये शरीर, माटी में मिलने को अधीर, क्यों आए,
Read Moreबिन बुलाए कभी चला आता, बुलाने पर भी कभी ना आता; रखता है वह अजीब सा नाता, देख सुन उर
Read Moreउतर आकाश से थे जब आए, कहाँ पहुँचे हैं समझ कब पाए; पूछने पर ही जान हम पाए, टिकट का
Read Moreगहन अमावस में प्रकाश से गेह खिले हैं। त्याग-तपस्या की बाती को स्नेह मिले हैं। जगमग सजी दिवाली हर घर
Read More(सिविल कोड और तीन तलाक पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा संविधान का अपमान और कुतर्क किये जाने पर उसको
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