मैं दीन – हीन लघु दीप एक
मैं दीन – हीन लघु दीप एक, थोड़ा – सा स्नेह प्रदान करो। रख दो गरीब की कुटिया में, उनकी
Read Moreमैं दीन – हीन लघु दीप एक, थोड़ा – सा स्नेह प्रदान करो। रख दो गरीब की कुटिया में, उनकी
Read Moreहोंठों पे बस तेरा ही नाम है माँ,तुझे इक पल तो आना पड़ेगा,ग़म किसको सुनाऊँ मैं मइया,अब तुझको तो सुनना
Read Moreउपवन की शोभा बढ़ती जब, खिलते पाटल और लिली हैं। स्नेह-भाव पाकर अपनों का, अधरों पर मुस्कान खिली है। प्रेम
Read Moreमैं खिलौना हूँ उसका खेल रहा वो मुझसे खेल। रात-दिन नचा-नचा कर देख रहा जीवन की रेल। एक मुसाफिर आया
Read Moreसूनी रात बिताई उसने आई तुम्हें तब हिचकी होगी। करवटों में सिमट-सिमट कर रह गई उसकी सिसकी होगी। छूटी न
Read Moreतुम कागज के फूल थे मिट्टी को न जान सके। दिया आसरा जिसने तुमको तुम उसको न मान सके। अंधकार
Read Moreदर्द को शब्द में ढालकर आई हूं, बैठकर रोना मुझको गवारा नही। पीर के मेघ पलकों में छाए मगर, अश्रुमोती
Read Moreतुम आना प्रिये! अब की बार, बनकर दीपक मेरे सूने आँगन में। दिन-मास मेरा प्रतिकुल रहा, सच धीमा बीता यह
Read Moreआशाओं के मंगल दीप ,जला मेरे मन… तिमिर निराशाओं के, अब ना ला मेरे मन.. हर रात की जब भोर
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