मुक्तक
अरमान जो भी थे मेरे दिल में ठहर गए सब रंजिशे गम भी तब जाने किधर गए रूठा हुआ सहरा
Read Moreलड़ी लड़ाई गढ़ जीवन में, तनमन भेंट किया सरकार कभी अधपकी सूखी रोटी, कभी मिला चटका आचार जितना जतन किया
Read Moreफसल उगाता वह मर जाता, मँहगाई की मार जहर घोलता राजनीति जब, तन्हाई में प्यार बरस रहा जल झुलस रहा
Read Moreजब मन में उगती फसल, तब लहराते खेत खाद खपत बीया निरत, भर जाते चित नेत हर ऋतु में पकती
Read More