मुक्तक
“मधुमास ” मापनी २२ २२ २२ २२ मधुमास दिलाशा बोली की पट पीली चुनरी चोली की रंग दे छैला लाल
Read Moreबिछा रहा इंसान खुद, पथ में अपने शूल। नूतनता के फेर में, गया पुरातन भूल।। — हंस समझकर स्वयं को,
Read Moreघिरी हुई है कालिमा, अमावसी यह रात क्षीण हुई है चाँदनी, उम्मीदी सौगात हाथ उठाकर दौड़ता, देख लिया मन चाँद
Read Moreरंग इंद्रधनुष सा जीवन का हो रहन-सहन और ढंग. बैरभाव कटुता की न कोई भरी हुई हो भंग मन उमंग
Read Moreरंगों के सँग खेलती,एक नवल- सी आस ! मन में पलने लग गया,फिर नेहिल विश्वास !! लगे गुलाबी ठंड
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