मुक्तक
खाली हाथ लेकर चले जो फिर काहे का रोना है,जानते सब कुछ थे पहले से क्या पाना क्या खोना है,फिर
Read Moreतप से हरदम बल मिले,मन हो जाता शांत। बिखरे नित नव चेतना,रहे नहीं मन क्लांत।। तप में होती दिव्यता,मिलता है
Read Moreकाले धन से बित रही, जिनकी हरेक रात होती हरेक दिन वहाँ, सुख की ही बरसात मतलब के सब यार
Read Moreपिता कह रहा है सुनो,उसके दिल की बात। जीवन पितु का फर्ज़ है,मत समझो सौगात।। संतति के प्रति कर्म कर,रचता
Read Moreनहीं एक दिन मात्र बस, हर दिन माँ के नाम। माँ से ही जीवन मिला,माँ से सब अभिराम।। वसुधा-सी करुणामयी,माँ
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