समकालीन दोहे
कैसा कलियुग आ गया,बदल गया इंसान। दौलत के पीछे लगा,तजकर सब सम्मान।। बदल गया इंसान अब,भूल गया ईमान पाकर दौलत
Read Moreकैसा कलियुग आ गया,बदल गया इंसान। दौलत के पीछे लगा,तजकर सब सम्मान।। बदल गया इंसान अब,भूल गया ईमान पाकर दौलत
Read Moreकरते सभी विवाह को, बाँध प्रेम की डोर। इक दूजे का साथ हो, छूटे कभी न छोर।। बेटी होती लाडली,
Read Moreशिया सुन्नी या अहमदिया, यदि कहीं मारा जाता है, विश्व पटल पर मुस्लिम मारा, संदेश सुनाया जाता है। शिया मारे
Read Moreमां की ममता से खिले, घर-आंगन में प्यार। दिल में अपनापन रहे, गूंथे स्नेहिल हार।। मां मूरत करुणामयी, पावन, निर्मल
Read Moreवृक्ष धरा के ओज हैं,वृक्ष अवनि – शृंगार। करते हैं इस सृष्टि का,सदा सृजन साकार।। पाँच अंग हैं वृक्ष के,
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