दोहे – सखे !
इतनी होती है सखे , तेज कलम में धार । पहुँचा सकती कल्पना , सात समंदर पार ।। रिश्तों में
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Read Moreगोदान ग़बन और रंगभूमि हाँ कर्मभूमि के दाता हो, नारी – जीवन के संघर्षों के तुम ही उद्गाता हो, दीन-हीन
Read Moreकोरोना के काल में, आवागमन है बन्द। मंद-मंद जीवन चले, बाजार हुए है मंद।। घर सबको अच्छा लगे, घर में
Read Moreहमको आशाहीनता, कर देती है चूर। नित ही खुशियों
Read Moreसौंदर्य परक दोहे नील कमल से नैन हैं, पलकें पात समान। मधुर अधर मकरन्द हैं, रम्भा रूप समान।1 चन्द्रानन सा
Read Moreचिकित्सकों को समर्पित मुक्तक जिंदगी के सफर में जो हमारा ध्यान रखते हैं खिलाकर गोलियाँ कड़वी खड़े ये कान रखते
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