“छन्द हो गये क्ल्ष्टि”
जब बालक की पीठ पर, लदा दुआ हो भार पढ़ने के सपने कहाँ, फिर होंगे साकार।। चमत्कार से के फेर
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Read Moreपीर पथराई पिघल कर गीत बनने को विकल है, और नंगे घाव कहते हैं मुझे चादर ओढ़ाओ। जिंदगी! आधी सदी
Read Moreमुखपोथी के झाड़ में, कच्चे-पक्के बेर। जिन्हें न आती शायरी, वो भी कहते शेर।। सिद्ध हो रही साधना, सफल हुआ
Read Moreहरियाली उपवन बसे , कानन हैं अकुलाय ! सूनापन काटे यहाँ , उर में आग समाय !! सन्नाटे को
Read Moreआबादी के दंश से पर्यावरण खराब । आबादी को रोक के, धरा करेंगे साफ।1। पेड़ों में ब्रम्हा ,विष्णु ,पेड़ो में श्रीराम। वन बचाने
Read Moreआस-पास होने लगा, सड़कों का विस्तार। लेकिन इससे हो गयी, बहुत तेज रफ्तार।। सड़क किनारे लगेंगे, छायावाले वृक्ष। इस पर
Read Moreशब्द संचयन मेरा पीड़ादायक होगा, पर सुनो सत्य का ही परिचायक होगा। काव्य जगत का मैं छोटा सा साधक हूँ,
Read Moreबन के नशेड़ी इंसान हैवान बन जाते हैं, कभी-कभी तो पीकर भगवान बन जाते हैं। परिवार को गाली देते, सड़कों
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