हाइकु
हाइकु ——————— एक ओंकार ब्रम्हांड का आधार निर्मल धार ————— अनंत नाद होती गुंजायमान शब्द लहरी ————— चेतना शून्य मृतक
Read More1. होली कहती खेलो रंग गुलाल भूलो मलाल! 2. जागा फागुन एक साल के बाद, खिलखिलाता! 3. सब हैं रँगे
Read Moreहोली पर हाइकु 01ः- खेलते रंग विश्वास घात का अनोखा ढंग। 02ः- चतुराई से होलिका है जलती न प्रहृलाद। 03ः-
Read More1. हवा बसन्ती लेकर चली आई रंग बहार! 2. पीली ओढ़नी लगती है सोहणी धरा ने ओढ़ी! 3. पीली सरसों
Read More1. रज़ाई बोली – जाता क्यों न जाड़ा, अब मैं थकी! 2. फिर क्यों आया सबको यूँ कँपाने, मुआ ये
Read Moreचुनावी हाइकु 01 – इस चुनाव आदमी तो आदमी गधे भी खुश । 02 – अपने साथ अपनों को गिराया
Read Moreबसंत ऋतु मौसम अलबेला लगे सुहाना बसंती हवा मचलता है मन हो मदमस्त| — निवेदिता चतुर्वेदी ‘निव्या’
Read Moreगिद्ध नज़र मौत का सौदागर लहू लुहान मेरी ज़ुबानी दहशती बोलियाँ लहू कहानी आतंकवाद दरिंदगी का नाम खूनी शैतान अश्क
Read Moreसत्रह वर्ण जापान का साहित्य हायकू विधा । =============== तीन पंक्तियाँ पाँच सात औ पाँच पूरित भाव । ================= भाव
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