आँसू हूँ
मैं हर एक परिस्थिति में आँखों से छलकता हूँ मनुष्य की भावनाओं को मैं बखूबी समझता हूँ मनुष्य की भावनाओं
Read Moreअरि की सुन ललकार युद्ध में,उठे हिलोर जहां हृद में । सज्य लुटाने प्राण उन्ही की,कलम आज जय गाती है
Read Moreओढ़ ली चूनर धानी वसुधा ने आज फिर धरती न धीर मन मौन इतराती है। अंबर नत होकर चूमता कपोल
Read Moreएक दुनिया इसी दुनिया में पर इससे बेहतर जहाँ गम कम है जहाँ लोग कम हैं और जो कम लोग
Read Moreएक तरस जो ख्वाबों में जीकर बर्बाद किये वक्त अनजान थे कितने जिंदगी की इस उठा-पटक से या एक घृणा
Read Moreआतप,ताप भरा भू,अम्बर, विकट रूप ग्रीष्म ऋतु आयी । रुद्र रूप दिनकर ने धारा,देह तपी धरणी अकुलायी । जेठ मास
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