छंदमुक्त काव्य
जीवन शरण जीवन मरण है अटल सच दिनकर किरण माया भरम तारक मरण वन घूमता स्वर्णिम हिरण मातु सीता का
Read Moreजीवन शरण जीवन मरण है अटल सच दिनकर किरण माया भरम तारक मरण वन घूमता स्वर्णिम हिरण मातु सीता का
Read Moreआखिर क्यों ,कब तक , हमको कोसोंगे आप , कसूर क्या है हमारा ???? हम सैनिक है शायद, यही बड़ा
Read Moreआया है नया साल, चलो एहतेराम कर लें गुज़रे हुए लम्हात के क़िस्से तमाम कर लें झगड़े, फ़सादो-नफ़रत, उल्फ़त के
Read Moreकौन होगा जिसे नहीं तेरी जुस्तजू होगी फ़िज़ा में दूसरा कहाँ ऐसा रंगों-बू होगा ये गुलाबों के लबों पे यूँ
Read Moreआज बरसों बाद लौटी हूँ अपने शहर में मुझे याद आता है मेरा बचपन इस शहर में वो ओस की
Read Moreमन इंद्रधनुषी रंगों में खोने लगा सब जाग रहे हैं मन सोने लगा ये बातें क्यों मन गुदगुदाने लगीं ये
Read Moreफिर आ गया इक्कीसवीं सदी का दर्द में डूबा नव वर्ष वृक्षों पर उमंग नहीं अंतस में छिपा है बिछड़े
Read Moreकविता से मेरा कभी भी कोई नाता न था थोड़ा पढ़ना-लिखना भले ही मुझे आता था कभी खुशी में तो
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