“गज़ल”
वज़्न- 221 1222 221 1222, काफ़िया- अ, रदीफ़ आओगे आकाश उठाकर तुम जब वापस आओगे अनुमान लगा लो रुक फिर
Read Moreपहली-पहली रात, निकट बैठे जब साजन। घूँघट था अंजान, नैन का कोरा आँजन। वाणी बहकी जाय, होठ बेचैन हो गए-
Read Moreबदले बदले हैं नज़ारे ! करता सावन है इशारे !! अब न बादल की गरज है , अब न बिजली
Read Moreसच्चाई रख सीने में ठोकर पे दुनियादारी रख ग़र जीने की चाहत है तो मरने की तैयारी रख तूफ़ां से
Read Moreदबे हर दर्द को ऐसे बढ़ाया जा रहा है नमक हर घाव पर मलकर लगाया जा रहा है सिंचाई हो
Read Moreमाली गर गुलशन के सैयाद नही होते सदियों के रिश्ते यूँ बर्बाद नही होते तब तक आजादी के होने के
Read Moreतीरगी दिल से मिटाना चाहता हूँ दीप आशा के जलाना चाहता हूँ रूठकर मुझसे हुए जो दूर मेरे पास फिर
Read Moreदुश्मनों तक भी मुहब्बत भेजनी तो चाहिये अब जहां से दूर नफ़रत भेजनी तो चाहिये जो हमें अजदाद ने सौंपी
Read Moreपावन सावन में भक्तों को, शिव शंकर इतना वर देना। जो भी दर पर शीष झुकाएं, उनके कष्ट दूर कर
Read Moreमेरे शिवशंकर की महिमा अपरम्पार जो शिव का स्मरण करते हैं, उनका बेड़ा पार-मेरे शिवशंकर की————– 1.जटाजूट में सोहे गंगा
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