कविता : मासूमी
बेजुबान होते है पत्थर तराशा गया है उन्हें इस खूबी से मासूमियत का इजहार करते बच्चे जब भूखे हो दाने
Read Moreबेजुबान होते है पत्थर तराशा गया है उन्हें इस खूबी से मासूमियत का इजहार करते बच्चे जब भूखे हो दाने
Read Moreमन का सूरज कभी डूबने ना पाए आशाओं का नया सवेरा जीवन की सोई आस जगाए पंछियों का कलरव छेड़े
Read Moreदेखते देखते तूँ कली बन सवरने लगी। फूल बनकर हर गली में महकने लगी। इस सुगंध का ऐसा असर हुआ
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