ग़ज़ल
इन्सानो के दिलों में जलती अगन क्यों है भैया को भाई से भी इतनी जलन क्यों हैं जब तक रहा
Read Moreजीवन एक झमेला है सुंदर सपनो का मेला है !! जग जिसको न रोक सका बहते पानी का रेला है
Read Moreमंच को सादर निवेदित है कुछ राधेश्यामी छंद पर प्रयास………. 16-16 पर यति, मात्रा भार- 32, पदांत गुरु, दो दो
Read Moreएक ही दिशा में बढ़ना समय की फितरत है, हम साथ चल दिए तो ठीक वरना, समय हमें पीछे छोड़
Read Moreआज बैठ गयी हूँ लिखने कुछ कविता कुछ कहानी नही मिलते शब्द तो क्या लिखूँ बात पुरानी प्यार की भाषा
Read Moreक्यो पुछते हो मुझसे मेरी हालातो के विषय में जब तुम्हे सुन कर चुप ही हो जाना है इससे बेहतर
Read Moreहाय! यह कैसी रीत है जग की गुनाहगार मस्ती में घुम रहें बेगुनाहगार सजा भुगत रहें जिसे समझते हो तुम
Read Moreखुश नही रहता वो कभी, बांधे फिरता है जो, गठरी उम्मीदों की, साथ वक़्त के ये, बढ़ती जाती है, होती
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