पथपर निरन्तर अग्रसर नहीं मिला मुझको
राह पर राहगीर बनाकर भेज दिया मुझको। चलता रहा दिन-रात कोई ना मिला मुझको। यहसास हो रहा तुम हर-पग-पर हो
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Read Moreपिछला पहर जब रात का हो, और आँख में नींद ना आती हो, तुम तनहा छत पर लेटे हो, ये
Read Moreतुम्हें ख़त लिख रहा हूँ | लगी लत लिख रहा हूँ || ** दीवारें वालिदा को | पिता छत लिख
Read Moreजब सूरज अपने उजास को समेट रहा होगा और चाँद ने फैलानी शुरू कर दी होगी चाँदनी दोनों के मिलन
Read Moreतेरी पायल की वो आवाज आज भी आती है मुझे जो उस वक़्त दड़कन में झनकार सी लगी थी मुझे
Read More(१) तपती धरा फसल झुलसती तेज है धूप (२) सूर्य की गर्मी झुलसाती बदन सही ना जाये (३) सूर्य किरणें
Read Moreजो था, अब नहीं रहा जो है वो कभी था ही नहीं एहसास मे दूरियों और इन्तजार की कसी गाँठ
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