ग़ज़ल : जब कली को मुस्कुराना आ गया
जब कली को मुस्कुराना आ गया| जान लो मौसम सुहाना आ गया || ** पंछियों की डार आई ही नहीं
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Read Moreहलके से जब मुसका दिए, उनको प्रफुल्लित कर दिए; उनकी अखिलता लख लिए, अपनी पुलक उनको दिए ! थे प्रकट
Read Moreसभी को मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनायें जो हूँ जैसी हूँ हर हाल मुस्काती माँ तुझ से हूँ ~ विभा
Read More“भारत माता की जय”नहीं बोलूगा-ओवैशी के इस बयान वाले सन्दर्भ मे मेरी रचना- ऐ ओवैशी क्या तुझको भारत माता से
Read More“गज़ल” किसने इसे फेंका यहाँ, रद्दी समझ कर के हाथों से उठा अपने, पड़ी किसकी छबी है ये यहाँ तो
Read Moreरात्रि का अर्द्धप्रहर नींद है कोसों दूर नयन से यही आभास होता है तुम कही पास ही हो मेरे आ
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