खूरच रहा हूँ
खूरच रहा हूँ ……………. शायद चार दिवारों से घिर कर बन जाता हो घर किन्तु बस इतना काफी तो नही
Read Moreखूरच रहा हूँ ……………. शायद चार दिवारों से घिर कर बन जाता हो घर किन्तु बस इतना काफी तो नही
Read Moreदूर तक फैले समुंदर की तरह गोशे-गोशे में मेरे तुम ही समाये हो दिल करता है अब दिल से निकल
Read Moreतुमने जब चाहा जैसे चाहा मैं वैसे हीं जीती रही तुमने सूरज को चाँद कहा मैंने मान लिए तुमने दिशाओं
Read Moreमापनी : 212 , 212 , 212 ,212 ” ================================== प्रेम पथ के पथिक – रोज आते रहे / दर्द
Read Moreआज तुम नहीं हो हैं साथ तुम्हारी यादें, दिल में जब यादों का समुन्दर उफनता है अश्क़ों का सैलाब उमड़
Read Moreनश्वरता … न करती प्रतीक्षा, न मुड़ती, देखती पीछे| क्षीण बड़ी ही लहरों की आयू| पल भर का बचपन, क्षणभर
Read Moreहो मुक्त बुद्धि से, हुआ अनुरक्त आत्मा चल रहा; मैं युक्त हो संयुक्त पथ, परमात्म का रथ लख रहा !
Read Moreरूप तेरा मन बसा यूँ, फूल ज्यों मकरंद है। वो हमेशा झिलमिलाए,ज्यों गगन में चंद है॥ बात महकी रातरानी,प्राण में
Read Moreप्रचण्ड अनल सी उठती ज्वाला खड़ी “धूप साये” में बाला नीर भरे थे नयन सजल बीते कैसे प्रतीक्षित पल निरखि
Read Moreमात्रा भारांक ——— १६/१२ पर भारत ज्ञान पुंज संसारा / कोकिल कंठ मधुर रसना मय गाता गीत हमारा/ देश विदेशी
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