शरणार्थी
अपना ही घर छोड़ मजबूर हो दर दर भटकते रहे एक आशियाने को याद आती है अब भी अपने बनाये
Read Moreये मत सोचा करो कि मिलेंगे ख़यालात,उन्हें पास आने दो हम पूछेंगे सवालात।बस एक बार दोस्ती का हाथ ही बढ़ाना,कोई
Read Moreहमसे क्यों दूर हो आओ बाँसुरी,अभी होंठों की प्यास हैं अधूरी।तुम्हारे बगैर हरेक गीत अधूरा है,गीत नहीं लिखा फिर भी
Read Moreकानून के रखवाले खुद कानून की खिल्ली हैं उड़ातेगुनहगार को जेल में सब सुविधाएं मुहैया हैं करवातेआम आदमी की घिस
Read Moreहां वो बहुत ही गरीब है,पर खुद ही चुना खुद का नसीब है,वो हमेशा से गरीब था,है,रहेगा,इसके लिए खुद जिम्मेदार
Read Moreतितलियां अठखेलियां करतीभ्रमर गुंजार करते हैंपराग – कण चखने के लिएफूलों पर मंडराते हैं ।फूल – महकाते हैं जीवनसहजीवी पर
Read Moreप्रकृति की पुकारमुझे दो दुलारन करो मेरा संहार ।मैं सदा देती हूंतुम पर उपहार लुटाती हूंसंसाधनों की संपत्ति सेतुम्हें मालामाल
Read More