अहसास
तुम्हारी सांसों की गरमाहट तुम्हारे लबों की थरथराहट तुम्हारी बातों की कंपकपाहट क्यों मुझे तुम्हारे नज़दीक ला रही है? ये
Read Moreवृक्ष को देखा मैने उसने अपने ऊपर बना रखी हो जैसे पक्षियों की होटल गर्मी में आसरा तलाशते राहगीर कभी खुद को तो
Read Moreनित नित भार संपोलो का जो सहती है विचलित सी भारत माता अब कहती है बहुत हुआ पर और सहन
Read Moreनामुमकिन सा है अब तो मिलना उनसे ऐ हवा तू ही अब उनका पता देना इश्क ने जख्म दिये है
Read More32 मात्रिक छंद / समान सवैया / सवाई छंद कलुष हृदय में वास बना माँ, श्वेत पद्म सा निर्मल कर
Read Moreख़ामोशियों की भी अपनी एक ज़ुबान होती है कुछ ना कहकर भी सब कुछ कह देती है ख़ामोशी दिल को
Read Moreठीक उसी तरह जैसे अपने अनुभबों,एहसासों ,बिचारों को यथार्थ रूप में अभिब्यक्त करने के लिए जब जब मैनें लेखनी का
Read Moreसवाई छंद/समान सवैया/32 मात्रिक छंद “वन्दना” इतनी ईश दया दिखला कर, सुप्रभात जीवन का ला दो। अंधकारमय जीवन रातें, दूर
Read Moreतेरे घर की सेवंई मेरी खीर सरबत का रंग तेरा मेरा नीर मेरी अज़ान पे हो तेरी नमाज़ तेरी दुआ पे हो
Read Moreयह अश्क भी क्या खूब, हम बेटियों से खेलते हैं इक ही पल मे यह क्यों, गम और खुशी के
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