कोरा-सा प्रेम और कैक्टस होता शहर
भागते-बौखलाते शहर में घन-घनाते फोन कॉल्स के बीच भी मार्बल से आच्छादित फर्श से बची मिट्टी में ओस की नमी
Read Moreभागते-बौखलाते शहर में घन-घनाते फोन कॉल्स के बीच भी मार्बल से आच्छादित फर्श से बची मिट्टी में ओस की नमी
Read Moreदेखो आज कलियुग, मानव से प्यार नहीं, कौन ऐसा सुखी है, संसार में बताइए । काम-क्रोध-लोभ अहंकार से जलते सब,
Read Moreना जाने क्यो मन अनमना सा है उतर रहा है भीतर तक सन्नाटा कुछ मायुसी बुन रही हुं बेवजह के
Read Moreहे पडोसी मुल्क किस गरूर में चूर रहते हो तुम आये दिन कर बैठते हो कोई नया ही दुसाहस कभी
Read Moreकहाँ पता था चलते हुए यूँ अकेले पैरों में छाले पड़ जायेंगे कई उँगलियाँ उठेगी कई भौवें भी तनेगी हर
Read Moreसुबह सुबह एक बात हो गई, अपने आप से ही बात हो गई भीतर से सवाल आया, बताओ कुपोषण का
Read Moreआप सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामना………… नववर्ष है नवहर्ष है नव सूरज की है लालिमा नवचेतना नवसाधना छाए
Read Moreआज हुई मुझे सत्य की पहचान ज्ञान हुआ मुझे पुरुषार्थ का मुक्ति का प्रकाश का। पहचान गयी मैं मिथ्या भ्रम
Read Moreनव वर्ष हमारा ऐसा हो— जीवन का हर पल सुखदायी हो, हर घर आँगन खुशियां छाईं हों , ममता का
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