5 झिंझोरती कविताएँ
1. संभ्रांत बोल सबकोई ‘पलवा’ के ” ” चाट रहे हैं ! क्या-क्या चाटने-चटवाने ? चटनी की यारी लिए
Read More1. संभ्रांत बोल सबकोई ‘पलवा’ के ” ” चाट रहे हैं ! क्या-क्या चाटने-चटवाने ? चटनी की यारी लिए
Read Moreआओ योग करें हम सब, तन-मन को शुद्ध बनायें। स्वस्थ हो सारी मानवता, जन जागरूकता फैलायें।। आदिकाल की थी परम्परा,
Read Moreशिक्षक दिवस अवसर हैं, आदर छलकाने को । स्नेह सिक्त सुमनों से, ज्ञान प्रकाश फैलाने को ।। याद करो बीते दिनों
Read Moreअच्छी बात हमें सिखाते, टीचर जी। मेहनत से खूब पढ़ाते, टीचर जी।। मोती से दांत चमकते, आंखे तेज। पान-मसाला नहीं
Read Moreशिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ, देती हूँ मैं शीष झुका कर करती नमन सारे गुरुओं को, सहृदय धन्यवाद दे कर !
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