दम घूँटती इच्छाएँ
घूँट-घूँट पी गई सिसकियाँ अपनी आँखों के प्याले से दिल जमीं पर खिला था गुलाब सींच दिया क्रोध के निवाले
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Read Moreखाने को अन्न नहीं! मजदूर क्या करें,पीने को पानी नहीं! मजदूर क्या करें,पहनने को कपड़े नहीं! मजदूर क्या करें,आज का
Read Moreकुछ तो समझ खुदा बने इंसान या यूँहीं करता रहेगा पूजा स्वयं को समझ भगवान ये बीसवां वर्ष तेरे हर्ष
Read Moreउस युग में भगवान ने , माया का जाल बनाया था । नारद जी को उसमें , गोल गोल घूमाया
Read Moreबुलाती है मगर जाने का नहीं बढ़ाना है प्रोडक्शन बढ़ा लो मगर क़्वालिटी घटाने का नहीं नहीं होती पांचों उंगुलियां
Read Moreअर्थव्यवस्था पूरे देश की, इन हालातों से डगमगा गई है, कैसे आ पाएगी गाड़ी पटरी पर, व्यवस्था चरमरा गई है,
Read Moreकितने जटिल हैं कुछ लोग, जो अब भी नहीं सुधर रहे, ग़मगीन हालातों में भी, मनमानी करने से नहीं डर रहे, समय
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