मां सबसे प्यारी लगती है
आँचल की मृदुल हवा से खुशियां हम सबको देती है। नेह लुटाती जीवन भर क्या बदले में कुछ लेती है।
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Read Moreबचपन का नाम तात्या वीर बहुत पराक्रमी, बाजीराव के वंश का सिंह वह निराला था। छोटा था उम्र में पर
Read Moreये प्रेम नहीं कोई खेल प्रिये, यह तो मर्यांदित बन्धन हैं। तुम हृदय में कुंठा मत पालों , मैं तुलसी
Read Moreआज लिखने जैसा कुछ भी नहीं पर सोच है कि रुकती नहीं मैं सोचता हूं… लाचार, बीमार- शब्द उभरता है
Read Moreडॉ. सदानंद पॉल की कविताएँ….. 1. जाति जो नहीं जाती ! जाति एक कुप्रथा है ! ‘मानव धर्म’ ही सच्चा
Read Moreकल एक कवि मित्र को फोन कियाउसने ढँग से रिस्पांस ही नहीं दियामैंने पूछा-क्या झगड़ा हो गया है किसी सेवो
Read Moreआसमां से तारे लाती सबका दिल शीतल कर देती उसके बिन सुना जग सारा ए सखि साजन?ना सखि माता।
Read Moreडॉ. सदानंद पॉल अलमस्त कविताएँ…. 1. इवीएम हराम क्यों है ? चश्मा क्यों न हराम है ? मोबाइल फोन क्यों
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