मै
मै मन बड़ा अस्थिर है शायद तभी चंचल भी है ठहराव पाने की जुगत में भौतिक शक्तियाँ कर देती भ्रमित
Read Moreवो….. नाचती थी ? जीवन की, हकीकत से , अनजान। अपनी लय में, अपनी ताल में, हर बात से अनजान
Read Moreदारू ही है जिन्दगी , दारू जीवनदायिनी , दारू राष्ट्र आधार है , दारू देत है प्राण , टिकी
Read Moreखाने के पैसे नहीं, तो पीने के पैसे कहां से लाते हो, देशवासियों और, सरकार को बेवकूफ क्यूं बनाते हो?
Read Moreन कोई योजना थी न कोई था उपाय महामारी टूट पड़ी हर व्यक्ति हुआ असहाय इटली,चीन,अमेरिका या भारत ,पाकिस्तान कोरोना
Read Moreडॉ. सदानंद पॉल की सारगर्भित कविताएँ 1. ■तीसमार खाँ वे कर्म के क्षेत्र में ‘वर्ल्ड रिकॉर्ड’ कायम कर लिए, एक
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