हाय री मोह्हबत
तुम को चाहता हूँ अपनों की तरह तुम मुझे देखती हो गैरों की तरह मेरी मोह्हबत में वो कशिश नहीं
Read Moreतुम को चाहता हूँ अपनों की तरह तुम मुझे देखती हो गैरों की तरह मेरी मोह्हबत में वो कशिश नहीं
Read Moreयह वक़्त कितना बेरहम पल में क्या से क्या हो जाता है, एक हँसता गाता चेहरा आंसूओं से तर बतर
Read Moreना मेरी खता थी न तेरी खता थी, कुछ मेरी तमन्ना थी कुछ तेरी ज़रुरत थी, ना तुमने कुछ कहा
Read Moreकदम कदम पर रावण हैं , तुम कितने रावण मारोगे थक जाओगे , कोशिश करके अंत समय में हारोगे
Read Moreखुलती हैं जब शब्दों की खिड़कियां, कई राज खुल जाते हैं, कभी शब्द ओझल हो जाते, फिर वापिस आ जाते
Read More” आज का रावण ” वध हुआ था तब एक रावण जब सीता का हुआ था हरण। थी वह तो
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