कुछ ख्वाहिशें अबुझी सी……..
कुछ ख्वाहिशें अबुझी सी कस कर बंधी मुठ्ठी से फिसलती रेत- सी क्यूं हैं??? छलकने की भी इजाजत है नहीं
Read Moreकुछ ख्वाहिशें अबुझी सी कस कर बंधी मुठ्ठी से फिसलती रेत- सी क्यूं हैं??? छलकने की भी इजाजत है नहीं
Read Moreमेरे मन की पीड़ा आखिर जाकर तुमको कौन सुनाये तुमको हँसी खुदा ने सौपी मेरे हिस्से आंँसू आये । आशाओं
Read Moreमैं वक्त नहीं हूं जो बदल जाऊँगा , मैं इंसान हूँ, बस ईंशानियत ही निभाऊंगा। करता हूँ वही जो ज़मीर
Read Moreएक क्यारी सजाई है एहसासों की जिसमें चिर संचित पुण्य हैं जन्मों – जनम के….. एक माला पिरोई है गुनगुनाहट
Read Moreइश्क़ किया तो फिर न रख इतना नाज़ुक दिल माशूक़१ से मिलना नहीं आसाँ, ये राहे-मुस्तक़िल२ तैयार मुसीबत को, न
Read Moreनाराज़ हैं मेहरबाँ मेरे अब आ भी जाओ, कि अंजुमन को तेरी दरक़ार है ढूँढता रहा न मिला कोई तेरे
Read Moreआओ ना एक बार, भींच लो मुझे उठ रही एक कसक अबूझ – सी रोम – रोम प्रतीक्षारत आकर मुक्त
Read Moreएक हम ही तो नहीं बेकरार यहाँ चाँदनी रातों में वो भी जागती होगी दुआओं में निगाह जो उठती होगी
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