वसन्त
वसन्त ऋतु का हुआ आगमन, चहुँ ओर सुरम्य हरियाली है। पेड़ों पौध लताओं में सुमन खिले, खेतों खलिहानों में कोयल
Read Moreदस रोज… दस गुलाबों की तरह थे महकते हुए दहकते हुए दस रोज यादों की नीली सी डायरी में सूखकर
Read Moreचंचल रोमांच से भरपूर इठलाती हिलौरे मारतीं, अनवरत… नदी और नारी जब भी बड़ीं… रोकीं गईं । कभी … बाँध
Read Moreगली-गली में जब से गूंजी, डिस्को की आवाज, युवक-युवतियां लगे थिरकने, चमक उठे सब साज. धीरे-धीरे लगी बढ़ने जब, डिस्को
Read Moreजो देश तोड़ कर ले गये थे और पाकिस्तान बना डाले। वो चमड़ी के बेशक गौरे हों, लेकिन हैं दिल
Read Moreइंद्र धनुष की यह प्रभा, मन को लेती मोह हरियाली अपनी धरा, लोग हुये निर्मोह लोग हुये निर्मोह, मसल देते
Read Moreजीवन क्या है? इक सपना है इस सपने की सच्चाई को आओ हम-तुम मिलकर खोजें जीवन अपना सुखी बनाएं कहो
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