नीलमणि
एक दिन मम्मी रुही को घर के बाहर गार्डन में बैठा, अंदर चली गई। पौधे के पास बैठी रुही को
Read Moreआप को आज मैं अपने जन्म की आत्मकथा सुनाती हूं. यह बहुत पुरानी बात हैं. उस समय रोमन साम्राज्य में
Read Moreजननी-जन्मभूमि को अपनी,बच्चों कभी नहीं बिसराना।ठाठ-बाट को छोड़ हमेशा,साधारण जीवन अपनाना।।—रोज नियम से आप सींचना,अपनी बगिया की फुलवारी।मत-मजहब के गुलदस्ते
Read Moreमाँ मुझे भी स्कूल जाना है , मुझे भी भैया साथ स्कूल जाना है, नये नये दोस्तो से मिलना है,
Read Moreहम स्कूल चलेंगे जहाँ हम खूब पढेंगे, सीखेगे अच्छी बाते और पायेंगे ज्ञान, पढ़ लिखकर हम बनेंगे अच्छे और महान,
Read Moreजंगल मे चलने लगी,अब चुनाव की चाल ,झट से ओढ़ी शेर ने ,सज्जनता की खाल, सज्जनता की खाल, हुई बकरी
Read Moreसावन आया वर्षा लाया। देखो काला बादल छाया।। लू गर्मी से मुक्ति मिली है। ठंडी – ठंडी हवा चली है।।
Read Moreकभी जो थे मासूम से सूने-सूने बादल | अब दिखा रहे तरह-तरह के रंग बादल || झमा-झम-झम झड़ी लगा रहे
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